आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई पुरुष यौन स्वास्थ्य की समस्याओं से परेशान हैं। खासकर जो लोग स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) से जूझ रहे हैं, वे अक्सर ‘जिनका खड़ा नहीं होता उसकी दवा patanjali’ के बारे में जानकारी ढूंढते हैं। यह लेख उन पुरुषों के लिए है जो पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में जानना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कि ये वास्तव में कितनी असरदार हैं।
इस लेख में हम स्तंभन दोष की सही समझ और पतंजलि की मुख्य आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि आयुर्वेदिक इलाज की वास्तविकता और सीमाएं क्या हैं, और क्यों कई बार एलोपैथिक इलाज बेहतर विकल्प साबित होता है। अंत में कुछ जीवनशैली के जरूरी उपाय भी बताएंगे जो इस समस्या से निजात दिलाने में मदद कर सकते हैं।
स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) की समझ
स्तंभन दोष क्या है और इसके प्रकार
स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन पुरुषों में पाया जाने वाला एक यौन विकार है जिसे नपुंसकता भी कहा जाता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें पुरुष इरेक्शन कर पाने में असमर्थ होता है या फिर उसे बहुत कम समय के लिए इरेक्शन होता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हर उम्र के पुरुषों में देखी जा सकती है। यह बीमारी ज्यादातर उन पुरुषों में देखी जाती है जिनकी उम्र 45 वर्ष से अधिक होती है।
पुरुष के सेक्शुअली एक्साइटेड होने के बाद उनका दिमाग प्राइवेट पार्ट्स की नसों में खून की सर्कुलेशन को तेज कर देता है जिससे लिंग खड़ा हो जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या तब उत्पन्न होती है जब सेक्शुअली एक्साइटेड होने के बावजूद लिंग में तनाव नहीं आ पाता है। ऐसे में आप अपनी सेक्सुअल लाइफ से असंतुष्ट रहते हैं।
शॉर्ट टर्म इरेक्टाइल डिसफंक्शन
शॉर्ट टर्म इरेक्टाइल डिसफंक्शन हमारी लाइफ स्टाइल से जुड़ा है। थकान, बेचैनी, स्ट्रेस की समस्या या शराब का अधिक सेवन करने पर शार्ट टर्म इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है। यह समस्या तब अपने आप दूर हो जाती है जब आप लाइफ स्टाइल में सुधार कर लेते हैं। इस प्रकार की नपुंसकता के लिए कोई बड़ा इलाज करने की जरूरत नहीं होती है।
लॉन्ग टर्म इरेक्टाइल डिसफंक्शन
अगर बहुत समय से इरेक्शन नहीं हो पा रहा है तो इसके पीछे जरूर कोई ना कोई बड़ी वजह है। कई बीमारियां जैसे कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर प्राइवेट पार्ट का ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। इससे आपको लॉन्ग टर्म नपुंसकता की समस्या हो सकती है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी भी नपुंसकता का कारण बन सकती है।
मानसिक और शारीरिक नपुंसकता के कारण
स्तंभन दोष के दो मुख्य कारण हो सकते हैं – शारीरिक कारण और मनोवैज्ञानिक कारण।
शारीरिक कारण
- मोटापा
- हृदय रोग
- डायबिटीज
- उच्च रक्तचाप
- पार्किंसंस रोग
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- लो मेटाबोलिज्म
- नशीली पदार्थों का सेवन (तम्बाकू, शराब)
- पेल्विक क्षेत्र में अगर सर्जरी हो चुकी है तो
- ब्लड वेसल्स में रुकावट
मनोवैज्ञानिक कारण
हमारा मस्तिष्क शरीर के कई जरूरी कार्यों में सहयोग और संचालन करता है। मस्तिष्क नपुंसकता का भी कारण बन सकता है क्योंकि संभोग हमारे फीलिंग्स पर भी निर्भर करता है।
- काम का स्ट्रेस
- पार्टनर के साथ रिश्ते में अनबन और तनाव
- चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य विकार होने पर
आज के समय में बढ़ती समस्या के मुख्य कारण
आज के समय में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसके पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं जो आधुनिक जीवनशैली से जुड़े हुए हैं। शराब, धूम्रपान आदि नशा युक्त पदार्थों का अधिक सेवन, बदलती खान-पान की आदतें जिससे कोलेस्ट्रॉल और शुगर लेवल में वृद्धि, मानसिक तनाव में वृद्धि और शारीरिक गतिविधियों में कमी मुख्य कारण हैं।
इसके अतिरिक्त, बढ़ता वजन, गतिहीन जीवनशैली, और काम के बढ़ते दबाव के कारण यह समस्या युवा पुरुषों में भी देखने को मिल रही है। पेल्विक क्षेत्र में रक्त प्रवाह की समस्या और हार्मोनल असंतुलन भी इस बढ़ती समस्या के प्रमुख कारण हैं।
पतंजलि की प्रमुख आयुर्वेदिक दवाएं
दिव्य यौवनामृत वटी के फायदे और उपयोग
दिव्य यौवनामृत वटी पतंजलि की एक प्रमुख आयुर्वेदिक दवा है जो पुरुषों की यौन समस्याओं के लिए विशेष रूप से तैयार की गई है। यह हल्के से गहरे भूरे रंग की गोल, द्विउत्तल और बिना लेप की गोली है जिसकी विशिष्ट गंध और स्वाद है। इसकी 5 ग्राम की बोतल ₹393.75 में उपलब्ध है।
इस दवा में अश्वगंधा, कौंच शुद्ध, शतावर, सफेद मूसली, जावित्री, जायफल, शुद्ध कुचला, अकरकरा, स्वर्ण भस्म, प्रवाल पिष्टी, वंग भस्म, शिलाजीत शुद्ध और पान रस जैसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक घटक शामिल हैं। यह संयोजन पुरुषों में शुक्राणुओं की कमी, यौन कमजोरी और सामान्य दुर्बलता के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
सेवन विधि: इसकी 1-2 गोलियां दिन में दो बार पानी या दूध के साथ लेनी चाहिए या चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें। इसे चिकित्सा पर्यवेक्षण में लेना आवश्यक है।
उपयोगकर्ताओं के अनुसार यह दवा वास्तव में प्रभावी है। उमेश चंद्र ने बताया कि यह “शुक्राणुओं की कम संख्या के लिए अच्छी दवा” है, जबकि अतिश कुमार का कहना है कि “यह वास्तव में बहुत अच्छा काम करती है।”
अश्वगंधा से तनाव कम करना और ऊर्जा बढ़ाना
अश्वगंधा पतंजलि की दवाओं में मुख्य घटक के रूप में शामिल है और यह प्राकृतिक तनाव निवारक के रूप में प्रसिद्ध है। यह एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटी है जो शरीर को तनाव के प्रतिकूल प्रभावों से बचाने में मदद करती है।
तनाव और चिंता यौन स्वास्थ्य की मुख्य बाधाएं हैं। जब व्यक्ति तनावग्रस्त होता है, तो कॉर्टिसोल का स्राव बढ़ जाता है जो टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम करता है। अश्वगंधा इस समस्या का समाधान प्रदान करती है।
अश्वगंधा के मुख्य लाभ:
- तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल को कम करता है
- टेस्टोस्टेरोन के स्तर में वृद्धि करता है
- शारीरिक और मानसिक सहनशीलता बढ़ाता है
- नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है
- मांसपेशियों की शक्ति और द्रव्यमान बढ़ाता है
अश्वगंधा का नियमित सेवन व्यक्ति की समग्र ऊर्जा में वृद्धि करता है और यौन प्रदर्शन में भी सुधार लाता है। यह विशेष रूप से उन पुरुषों के लिए फायदेमंद है जो काम के तनाव या जीवनशैली की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
शिलाजीत और मूसली से शारीरिक शक्ति वृद्धि
शिलाजीत और सफेद मूसली दो शक्तिशाली आयुर्वेदिक घटक हैं जो पुरुषों की शारीरिक और यौन शक्ति बढ़ाने के लिए प्रसिद्ध हैं। यौवनामृत वटी में इन दोनों का समावेश इसे और भी प्रभावी बनाता है।
शिलाजीत के फायदे:
- प्राकृतिक कामोत्तेजक के रूप में कार्य करता है
- शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि करता है
- शारीरिक सहनशीलता और स्टैमिना बढ़ाता है
- मांसपेशियों की रिकवरी में तेजी लाता है
- हार्मोनल संतुलन बनाए रखता है
सफेद मूसली के गुण:
- प्राकृतिक वाजीकरण गुणों से भरपूर
- यौन इच्छा में वृद्धि करती है
- शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ाती है
- शारीरिक कमजोरी दूर करती है
- प्रजनन क्षमता में सुधार लाती है
इन दोनों घटकों का संयुक्त प्रभाव शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाता है और यौन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार लाता है। विशेषकर वे पुरुष जो शुक्राणुओं की कमी या कम यौन इच्छा से परेशान हैं, उनके लिए यह संयोजन अत्यंत लाभकारी है।
तुलसी और अदरक के घरेलू नुस्खे
हालांकि संदर्भ सामग्री में तुलसी और अदरक के विशिष्ट नुस्खों का उल्लेख नहीं है, पतंजलि की दवाओं में इनका महत्व निर्विवाद है। ये दोनों जड़ी-बूटियां प्राकृतिक रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
पतंजलि की दवाओं में पान रस का उपयोग भी मिलता है जो पाचन शक्ति बढ़ाने और मुंह की स्वच्छता बनाए रखने में सहायक है। यह संपूर्ण फॉर्मूलेशन में एक सहायक घटक के रूप में काम करता है।
सामान्य सावधानियां:
- निर्धारित मात्रा से अधिक सेवन न करें
- उपयोग से पहले लेबल को ध्यान से पढ़ें
- ठंडी, सूखी जगह पर रखें
- बच्चों की पहुंच से दूर रखें
- भोजन/पेय और एलोपैथिक दवाओं के बीच कम से कम आधे घंटे का अंतर रखें
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सभी दवाएं चिकित्सा पर्यवेक्षण में ली जानी चाहिए और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार खुराक में बदलाव हो सकता है।
पतंजलि के आयुर्वेदिक तेल और मालिश
महामाष तेल और अन्य पेनिस ऑयल के फायदे
पतंजलि के आयुर्वेदिक तेलों में महामाष तेल एक प्रमुख उत्पाद है जो पुरुषों की यौन समस्याओं के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। यह तेल प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बना होता है और स्तंभन दोष की समस्या में सहायक माना जाता है। महामाष तेल में शिलाजीत, अश्वगंधा, और अन्य पारंपरिक आयुर्वेदिक घटक होते हैं जो पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
पतंजलि के अन्य पेनिस ऑयल भी बाजार में उपलब्ध हैं जो समान लाभ प्रदान करने का दावा करते हैं। इन तेलों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय रक्त प्रवाह में सुधार करना और तंत्रिकाओं को मजबूत बनाना है। हालांकि, इन तेलों की प्रभावशीलता व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य और समस्या की गंभीरता पर निर्भर करती है।
सही मालिश तकनीक से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाना
आयुर्वेदिक तेलों का सही तरीके से उपयोग करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि तेल की गुणवत्ता। मालिश की सही तकनीक से रक्त संचार में सुधार हो सकता है। तेल को हल्के हाथों से गोलाकार गति में लगाना चाहिए, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है।
मालिश करते समय धैर्य रखना आवश्यक है और तेल को त्वचा में अच्छी तरह से अवशोषित होने देना चाहिए। यह प्रक्रिया दिन में दो बार, सुबह और शाम करने की सलाह दी जाती है। मालिश के दौरान अत्यधिक दबाव नहीं डालना चाहिए क्योंकि इससे त्वचा को नुकसान हो सकता है।
स्थानीय रक्त संचार में सुधार से ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बेहतर होती है, जो समस्या के समाधान में सहायक हो सकती है।
नियमित उपयोग से मांसपेशियों को मजबूत करना
पतंजलि के आयुर्वेदिक तेलों का नियमित उपयोग मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है। इन तेलों में मौजूद प्राकृतिक घटक मांसपेशियों के टिश्यू को पोषण प्रदान करते हैं। शिलाजीत और अश्वगंधा जैसे घटक शारीरिक शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।
नियमित मालिश से मांसपेशियों में रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे वे अधिक मजबूत और सक्रिय हो जाती हैं। यह प्रक्रिया समय के साथ मांसपेशियों की कार्यक्षमता में सुधार ला सकती है।
हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि इन तेलों के उपयोग के साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली भी अपनाई जाए। केवल तेल के उपयोग से पूर्ण समाधान की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
आयुर्वेदिक तेलों का प्रभाव व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है, और कई बार इन्हें परिणाम दिखाने में कुछ महीनों का समय लग सकता है।
आयुर्वेदिक दवाओं की वास्तविकता और सीमाएं
साइंटिफिक प्रमाण की कमी और अलग-अलग असर
पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बात करते समय यह समझना आवश्यक है कि इन्हें लेकर वैज्ञानिक अनुसंधान सीमित है। अधिकांश आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए मजबूत मानवीय क्लिनिकल ट्रायल्स का अभाव है। यह स्तंभन दोष के लिए उपलब्ध आयुर्वेदिक उपचारों पर भी लागू होता है।
आयुर्वेदिक दवाओं का प्रभाव व्यक्ति दर व्यक्ति अलग होता है क्योंकि ये व्यक्ति के दोष संतुलन पर आधारित होती हैं। कुछ लोगों में ये दवाएं बेहतर परिणाम दे सकती हैं, जबकि अन्य में इनका प्रभाव न के बराबर हो सकता है। वर्तमान में उपलब्ध अध्ययनों में उच्च पूर्वाग्रह का जोखिम देखा गया है, जो इन परिणामों की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
साइड इफेक्ट्स और अन्य दवाओं के साथ इंटरैक्शन
आयुर्वेदिक दवाओं को पूर्णतः सुरक्षित मानना एक भ्रम है। आयुर्वेदिक दवाओं में मिलावट या उनके अंतर्निहित तत्वों के कारण प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। विशेष चिंता की बात यह है कि:
भारी धातुओं की उपस्थिति:
- सोना, सीसा, पारा, आर्सेनिक, कैडमियम जैसी धातुएं WHO द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में हो सकती हैं
- इससे गुर्दों की क्षति और नेफ्रोटिक सिंड्रोम का खतरा रहता है
- अध्ययनों में पाया गया कि 21% आयुर्वेदिक उत्पादों में इन धातुओं का स्तर खतरनाक था
सामान्य साइड इफेक्ट्स:
- त्वचा पर एलर्जी रैश
- नींद आना
- पेट की परेशानी
- दस्त
गंभीर दुष्प्रभाव:
- लिवर एंजाइमों में वृद्धि (कुछ अध्ययनों में 7 मरीजों को इस कारण ट्रीटमेंट बंद करना पड़ा)
- हैलुसिनेशन
- भारी धातुओं का विषाक्तता
- आर्सेनिक विषाक्तता
दवाओं के साथ इंटरैक्शन:
- अश्वगंधा डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की दवाओं, इम्यूनोसप्रेसेंट्स, शामक दवाओं और थायराइड हार्मोन दवाओं के साथ इंटरैक्ट कर सकता है
- कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में स्टेरॉयड मिलावट हो सकती है, जिससे वजन बढ़ना, कुशिंगॉयड फीचर्स और स्टेरॉयड विथड्रॉल सिंप्टम्स हो सकते हैं
डॉक्टर की सलाह की महत्ता
अब जब हमने आयुर्वेदिक दवाओं की सीमाओं को समझ लिया है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी भी आयुर्वेदिक इलाज शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह अत्यंत आवश्यक है।
महत्वपूर्ण सावधानियां:
- बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा डेटा उपलब्ध नहीं है
- आयुर्वेदिक उत्पादों को अमेरिका में डाइटरी सप्लीमेंट माना जाता है, जिन पर FDA के सख्त नियम लागू नहीं होते
- अनियंत्रित या मिलावटी उत्पादों का उपयोग, विशेषकर अयोग्य चिकित्सकों द्वारा दिए गए
डॉक्टर आपकी वर्तमान दवाओं की जांच कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आयुर्वेदिक उपचार आपकी अन्य दवाओं के साथ हानिकारक इंटरैक्शन न करे। आयुर्वेदिक इलाज को मानक चिकित्सा देखभाल की जगह नहीं लेना चाहिए या उसमें देरी नहीं करनी चाहिए।
ConsumerLab.com, U.S. Pharmacopeia (USP), या NSF जैसे स्वतंत्र परीक्षण संगठनों द्वारा प्रमाणित ब्रांड्स का चुनाव करना बेहतर होता है।
एलोपैथिक इलाज के बेहतर विकल्प
PDE5 इन्हिबिटर दवाओं की प्रभावशीलता
एलोपैथिक इलाज में PDE5 इन्हिबिटर दवाएं स्तंभन दोष के लिए सबसे प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला विकल्प हैं। ये दवाएं पेनिस की मांसपेशियों को आराम देने वाले नाइट्रिक ऑक्साइड के प्रभाव को बढ़ाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में सुधार होता है।
मुख्य PDE5 इन्हिबिटर दवाएं हैं:
दवा का नाम | ब्रांड नेम | प्रभावकारिता समय | असर की अवधि |
---|---|---|---|
Sildenafil | Viagra | 1 घंटे पहले | 4-5 घंटे |
Tadalafil | Cialis | 1 घंटे पहले | 36 घंटे तक |
Vardenafil | Levitra | 1 घंटे पहले | 4-5 घंटे |
Avanafil | Stendra | 30 मिनट पहले | 4-5 घंटे |
सिल्डेनाफिल (Viagra) खाली पेट लेने पर सबसे अच्छा काम करता है और उच्च वसा वाले भोजन के बाद इसका अवशोषण धीमा हो जाता है। टाडालाफिल (Cialis) भोजन के साथ या बिना लिया जा सकता है और इसका प्रभाव 36 घंटे तक रह सकता है। यह दैनिक कम डोज या आवश्यकतानुसार अधिक डोज में ली जा सकती है।
हार्मोन थेरेपी और टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट
यद्यपि PDE5 इन्हिबिटर मुख्य इलाज हैं, कुछ मामलों में हार्मोनल असंतुलन भी स्तंभन दोष का कारण हो सकता है। जब टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, तो डॉक्टर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, यह विकल्प केवल तभी प्रभावी होता है जब वास्तव में हार्मोनल कमी हो। टेस्टोस्टेरोन थेरेपी शुरू करने से पहले पूरी मेडिकल जांच आवश्यक होती है।
इंजेक्शन और उन्नत मेडिकल ट्रीटमेंट
जब मौखिक दवाएं काम नहीं करतीं, तो अल्प्रोस्टाडिल (Alprostadil) इंजेक्शन एक प्रभावी विकल्प है। इसे पेनिस में सीधे इंजेक्ट किया जाता है। ब्रांड नाम में Caverject, Edex, और Muse शामिल हैं। Caverject Impulse की रेटिंग 9.4/10 है, जो इसकी उच्च प्रभावशीलता दर्शाती है।
अन्य उन्नत विकल्पों में पेनाइल इम्प्लांट और पेनिस पंप शामिल हैं। ये विकल्प गंभीर मामलों में उपयोग होते हैं जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं।
मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की भूमिका
स्तंभन दोष के कई मामलों में मानसिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद और रिश्तों की समस्याएं इस स्थिति को बढ़ा सकती हैं। मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और थेरेपी इन मानसिक कारकों को संबोधित करने में सहायक होती है।
युगल काउंसलिंग भी फायदेमंद हो सकती है, क्योंकि यह समस्या दोनों पार्टनर को प्रभावित करती है। संज्ञानात्मक व्यवहारिक चिकित्सा (CBT) चिंता और प्रदर्शन के डर को कम करने में प्रभावी साबित होती है। कई बार दवा और मानसिक चिकित्सा का संयोजन सबसे बेहतर परिणाम देता है।
जीवनशैली में सुधार के जरूरी उपाय
पोषक तत्वों से भरपूर आहार का महत्व
स्तंभन दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आहार में सुधार एक महत्वपूर्ण कदम है। अध्ययनों से पता चलता है कि ED से ग्रसित व्यक्ति अक्सर निष्क्रिय जीवनशैली अपनाते हैं और अधिक वजन के शिकार होते हैं। सही आहार का चुनाव न केवल वजन घटाने में सहायक होता है, बल्कि समग्र यौन स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है।
आहार संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना और अल्कोहल तथा अतिरिक्त नमक, चीनी और वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करना ED के विकास के जोखिम को कम करने में मदद करता है। ये सभी प्रयास स्ट्रोक, चयापचय संबंधी बीमारियों और हृदय रोग के जोखिम को भी घटाते हैं, जो सभी ED से जुड़े हुए हैं।
नियमित व्यायाम, योग और मेडिटेशन के फायदे
पेल्विक फ्लोर व्यायाम, जिन्हें केगेल व्यायाम भी कहा जाता है, ED के इलाज में अत्यंत प्रभावी हैं। ये व्यायाम श्रोणि की निचली मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, विशेष रूप से pubococcygeus मांसपेशी को। यह मांसपेशी pubic bone से tailbone तक फैली होती है और श्रोणि के अंगों को सहारा प्रदान करती है।
केगेल व्यायाम की तकनीक:
- लेटकर घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर सपाट रखें
- सांस छोड़ते हुए पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को 3 गिनती तक दबाएं
- सांस लेते हुए 3 गिनती तक आराम करें
- दिन में तीन बार इस अभ्यास को दोहराएं
यूनाइटेड किंगडम के University of the West के एक अध्ययन में पाया गया कि पेल्विक व्यायाम से 40 प्रतिशत पुरुषों में सामान्य स्तंभन क्रिया वापस आई, जबकि अतिरिक्त 33.5 प्रतिशत में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया।
एरोबिक व्यायाम के लाभ:
एरोबिक व्यायाम भी ED से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है। 2018 की एक व्यवस्थित समीक्षा के अनुसार, जो लोग सप्ताह में चार बार एरोबिक व्यायाम करते थे, उन्हें सबसे अच्छे परिणाम मिले। प्रत्येक व्यायाम सत्र मध्यम या उच्च तीव्रता का होना चाहिए और न्यूनतम 40 मिनट तक चलना चाहिए।
प्रभावी एरोबिक व्यायाम:
- साइक्लिंग
- स्पिन क्लासेज
- बॉक्सिंग
- रोइंग
- दौड़ना
- रस्सी कूदना
धूम्रपान और शराब से बचने की आवश्यकता
अल्कोहल का सेवन ED के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शराब रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है, जो लिंग में उचित रक्त संचार के लिए आवश्यक है। धूम्रपान भी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और ED के जोखिम को बढ़ाता है।
अल्कोहल के सेवन को सीमित करना और धूम्रपान को पूरी तरह बंद करना ED के इलाज का एक अहम हिस्सा है। ये दोनों आदतें न केवल यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि समग्र हृदय स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद की भूमिका
ED के कई मामलों में मनोवैज्ञानिक कारक भी जिम्मेदार होते हैं। तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद लेना इस समस्या के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
जीवनशैली में ये सभी परिवर्तन ED से पीड़ित व्यक्ति में सुधार लाने में प्रभावी हैं। ये प्रयास दवाओं की आवश्यकता को भी कम करते हैं और लंबी अवधि में समग्र स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं। आहार में सुधार और विशेष रूप से पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को लक्षित करने वाले व्यायाम करने से ED को कम करने या समाप्त करने में मदद मिल सकती है।
स्तंभन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन आज के समय में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। पतंजलि की आयुर्वेदिक दवाएं जैसे अश्वगंधा, दिव्य यौवनामृत वटी, तुलसी और विभिन्न तेल कुछ हद तक सहायक हो सकते हैं, लेकिन इनका वैज्ञानिक आधार सीमित है। यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी आयुर्वेदिक दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना न करें, क्योंकि इनके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
गंभीर या लगातार बनी रहने वाली स्तंभन दोष की समस्याओं के लिए एलोपैथिक इलाज जैसे PDE5 इन्हिबिटर्स, हार्मोन थेरेपी और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग अधिक प्रभावी और सुरक्षित विकल्प हैं। इसके साथ-साथ स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, नियमित व्यायाम करना, संतुलित आहार लेना और तनाव को कम करना भी आवश्यक है। याद रखें कि स्तंभन दोष का सही इलाज केवल योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही संभव है, इसलिए समस्या के शुरुआती लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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