20 साल पुरानी बवासीर का इलाज – वर्तमान की बदलती हुई लाइफस्टाइल के चलते अनेको बीमारियों ने जन्म लिया है । उनमे से कुछ बीमारियां इतनी कष्ट कारक होती हैं । इतनी दर्दनाक होती हैं कि मरीज की हालात खराब हो जाती हैं । जी हा आप सही समझे हम बात कर रहे है बावासीर है, जो बहुत पीड़ा दायक होती हैं । इस बीमारी को मस्से की प्रॉब्लम के नाम से भी जानते है । वही अंग्रेजी मे Piles के नाम से जानते है ।
यह प्रॉब्लम किसी भी उम्र मे महिला या पुरुष को हो सकती हैं । मगर पुरुषों मे ज्यादा देखी जाती हैं । एक्सपर्ट के अनुसार इस रोग का मुख्य कारण हमारा खानपान है इनके अलावा मोटापा, अधिक तक एक जगह पर बैठे रहना, अधिक समय तक खड़े रहना, बढ़ती उम्र, महिलाओ मे गर्भाव्यस्था आदि कारण हो सकते हैं ।
एक शोध के अनुसार हर चौधा व्यक्ति बवासीर से पीड़ित है । यह प्रॉब्लम बहुत ही कष्ट दायक होती हैं । ट्रीटमेंट के रूप मे अनेको दवाए उपलब्ध है । उनमे से कुछ दवाओं के बारे में बताने जा रहे है तो चलिए जानते हैं –
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बवासीर क्या है ?
बवासीर एक ऐसा रोग हैं जो गुदा व मलाशय मे मौजूद नसो मे सूजन व तनाव आने से होता है । आमतौर पर यह गुदा व मलाशय मे मौजूद नसों का वैरिकोन्स वेन्स रोग होता है ।
बवासीर मलाशय के अंदरुनी हिस्से या गुदा के बाहरी हिस्से मे हो सकता हैं । अर्थात यह वो जगह है जहा से व्यक्ति मल का त्याग करता हैं । यह वजह है की यह बहुत ही कष्टप्रद होता हैं । मल द्वार के आस पास छोटे छोटे मस्से हो जाते हैं तब इसे मस्से के नाम से जानते है । इस प्रॉब्लम के कारण मल द्वार पर जलन एव कभी कभी मल के साथ खुन भी आने लगता हैं । जिसे खुनी बावासीर भी कहते हैं ।
डॉक्टर्स के अनुसार बवासीर 4 प्रकार के होते हैं जैसे अंदरुनी बवासीर, बाहरी बवासीर, प्रोलेप्सड बवासीर व खूनी बवासीर । इनके संकेत की बात करे तो सख्त मल त्याग जिससे मलाशय या गुदा को चोट पहुँच सकती है। जिससे मलत्याग के दौरान ब्लिडिंग होती है । गुदा के पास एक दर्दनाक सूजन या गांठ या मस्से का होना । गुदा के आसपास खुजली जो लगातार या रुक – रुक कर हो सकती हैं ।
20 साल पुरानी बवासीर का इलाज –
पाइल्स एक ऐसी प्रॉब्लम है जो मल द्वार की प्रक्रिया को बाधित कर के कष्ट प्रद बनाती हैं । जिनके कारण मरीज को लेटिन के दौरान असहनीय दर्द का एहसास होता हैं । वही जब लेटिन जब गाढ़ा हो जाता हैं तो दर्द सीमा लांघ लेता है । इस प्रॉब्लम का कई प्रकार से किया जाता है । मगर स्थाई इलाज की संभावना कम होती हैं । चाहे 20 साल पुरानी क्यो न हो
हालांकि आयुर्वेदिक चिकित्सा में इलाज उपलब्ध है । मगर परहेज रखने की आवश्यकता होती है । आज के लेख मे कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में बताने जा रहे है । यह दवा Aqucris कंपनी है जो काफी हद तक कारगर है । तो चलिए जानते हैं –
पाइलोडॉक रस – 20 साल पुरानी बवासीर का इलाज
यह रस एक आयुर्वेदिक उत्पाद है जो पाइल्स की बीमारी मे इस्तेमाल किया जाता है। यह एक आयुर्वेदिक उत्पादन भारत की एक स्वदेशी कंपनी एस्क्लेपियस वेलनेस प्रायव्हेट लिमिटेड के द्वारा बनाई जाती है । इस कंपनी का मुख्यालय जयपुर मे इसकी प्रोडक्शन युनिट है। यह रस इस कंपनी की एक मशहूर उत्पाद है । उत्पाद संबंधी अनुसंधान और उत्पादन कंपनी खुद करती है। AWP कंपनी की ऐसी दवा हैं जो पुरानी से पुरानी बवासीर के लिए लाभकारी है ।
मुख्य घटक – एलोवेरा, नीम, त्रिफला, चिरेता, मोरिंगा, निशोध आदि से मिलाकर इसका निर्माण किया जाता है।
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पाइलोडॉक रस के उपयोग और लाभ
पाइलोडॉक रस पाइल्स की बीमारी मे लाभ देता है। बवासीर की खत्म करने मे इसका उपयोग होता है । कंपनी ने काफी रिसर्च करने के बाद इस उत्पाद का निर्माण किया है।स्टूल को अधिक हार्ड नही होने देता है। इसके नियमित सेवन के कुछ ही दिन मे रोगी को आराम मिलता है ।
पाइलोडॉक रस को इस्तेमाल करने की विधी और खुराक
सामान्य रुप मे पाइलोडॉक रस को खाना खाने के एक घंटे बाद 15 – 20 एम एल गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिये। बोतल को खोलने के एक महिने तक इसे जरुर खत्म कर दे। हर बार पीने से पहले बोतल को अच्छी तरह हिलाये।
12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली माता ओ को चिकित्सक कि परामर्श से लेना चाहिये।
पाइलोडॉक की कीमत – पाइलोडॉक रस की कीमत MRP -2476 रुपये है। DP Price- 2063 रुपये और SP 13 है। एक फाइल मे 1000ml रस होता है ।
लिवोडॉक – 20 साल पुरानी बवासीर का इलाज
यह लिवोडॉक उत्पाद आपके शरीर के लिये ज्यादा जरुरी है। यह उत्पाद लिवर के लिये एक जनरल टॉनिक या का काम करता है। यह उत्पाद वात, पित्त, कफ की समस्या को दूर करता है।
यह दवा लिवर की इंफेक्शन ,पिली़या, जॉन्डिस, हेपेटाइटिस, फेटी लिवर इन सभी समस्या को ठीक करने मे आपकी सहायता करता है। यह उत्पाद आपके लिवर को रिपेयर करने का भी काम करता है। वही यह दवा गैस्टिक डिसऑर्डर व डायजेस्टिव प्रोब्लेम के उपयोगी है ।
जॉन्डिस इन समस्या को जड से खत्म करता है । पाचन शक्ति को बढाता है। लिवर की केपिसिटी को मेंटेन करता है। यह उत्पाद संपूर्ण लिवर की चिंता करता है।
धूम्रपान, शराब पीना, जंकफूड, फास्ट फूड, पेट की सभी समस्या को ठीक करता है। भूख बढाता है। बवासीर दर्द, वायरल, इंफेक्शन को ठीक करता है। आपके शरीर मे खून को साफ करने मे मदत करता है। यह गूर्दे की पत्थरी को बढने से रोकता है ।
मुख्य घटक – चिरायता, कुटकी, भृंगराज, भूई आंवला, कसनी, आमइतास, पूरनवा, सौंफ, गिलोय, मकोया, त्रिफला, एलोवेरा रस, नागरमोथा, सुर पंख आदि ।
इस दवा का सेवन खाना खाने के एक घंटे बाद या एक घंटे पहले 15-20 ml की खुराक दिन मे दो बार ले सकते है । जो बीमार लोग है वो लोग गुनगुने पानी के साथ सेवन करें ।
Digidoc – 20 साल पुरानी बवासीर का इलाज
Digidoc powder आपके पेट कि समस्या का रामबाण इलाज है। अगर मे बात करु पेट से जूडी समस्या की तो बहुत सारी समस्या होती है । इन सब को डिजिडॉक पावडर ठिक करता है। पाचन को सही करने मे आपकी सहायता करता है। पेट मे अचानक गैस बन जाये तो गँस को ठीक करता है। पेट दर्द मे भी आराम देता है।
( नोट – यदि आप Ascleplus Company की दवा खरीदना चाहते है तो हमारे कमेंट बॉक्स मे अपना नाम व नंबर लिखे । )
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Fennel Doc drop – बवासीर की रामबाण आयुर्वेदिक दवा –
यह सौफ का रस है। जो फेनिल: (फोनेटिक वल्गारे) गाजर परिवार मे एक फुलवाले पौंधे कि प्रजाती है। यह एक बारह मासी जड़ी बूटी है। जिसमे पीले फूल और पंख दार पत्तियाँ होती है । यह एक अत्याधिक सुगंधित जड़ी बूटी है।
सौफ माऊथ फ्रेशनर की तरह काम करता है। अगर साँस लेते वक्त मुंह से बदबू आ रही हो तो सौफ खाने से वो दूर हो जाती है । इसमे विभिन्न प्रकार के तेल पाये जाते है । जो मुंह के बदबू को दूर करने मे आपकी सहायता करता है।
सौफ बदहजमी या कब्ज से राहत दिलाता है। इसमे जो फायबर होता है वो मल को नरम करता है। कब्ज की समस्या को दूर करता है। सौफ एनीमिया से रक्षा करता है। सौफ मे आयरन और तांबा भरपूर मात्रा मे होता है। जिसमे शरीर मे लाल कण यानि के रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन अच्छी तरह से हो पाता है। सौफ का सेवन करने से आयरन की मात्रा बढने लगती है। जिससे हीमोग्लोबिन की भी मात्रा बढ जाती है।
त्रिफला चूर्ण – बवासीर का घरेलु उपाय –
बवासीर की परेशानी लंबे समय तक कब्ज की वजह से होती है । इस परेशानी से जूझ रहे व्यक्तियो को मल त्यागने मे ज्यादा परेशानी का अनुभव होता है। वही मलद्वार पर सूजन और रैशेज होने की संभावना होती है। त्रिफला बवासीर की समस्याओं को दूर करने के लिये काफी हद तक किया जा सकता है। इसमे एंटीऑक्सिडेंट, एंटी वायरल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी इफ्लेमेंटरी जैसे गुण होते है ।
बवासीर जैसी समस्याओं को दूर करने के लिये त्रिफला चूर्ण काफी हद तक लाभदायक है। दरअसल त्रिफला ३ जड़ी बूटियों जैसे बिभीतकी, आवला और बहेडा से तैयार किया जाता है। त्रिफला मे एंटीइंफ्लेमेटरी जैसे गुण होते है ।
इस चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ रात मे सोने से पहले 1 स्पुन किया जा सकता है । इसी प्रकार त्रिफला चूर्ण और शहद का सेवन बवासीर की परेशानीयों को कम करने के लिये किया जाता है। इसके लिये 1 चम्मच शहद को हल्का सा गर्म करके थोड़ा सा इस चूर्ण को मिक्स करके करें ।
एलोवेरा – बवासीर की दवा –
खराब जीवन शैली और खाने की अनहेल्दी आदतो ने लोगों को कई बीमारीयो का शिकार बना दिया है ,जिसमे से कुछ बहुत ही ज्यादा घातक है। इन्ही मे से एक है बवासीर जो न सिर्फ किसी व्यक्ति को असहनीय दर्द का एहसास कराती है उस व्यक्ति का कुछ भी खानेका मन होतो उसे भी ऩही खाना होता है।
यू तो एलोवेरा को आयुर्वेद मे किसी चमत्कारी औषधि से कम नही माना गया है। बवासीर मे इसका उपयोग आपको जड से खत्म करने मे बडे काम आ सकता है। एलोवेरा मे ऐसे विटामिन्स और मिनरल्स है जो आपके शरीर को कई तरीके से फायदा पहुँचाते है।
एलोवेरा जूस – बावासीर के घरेलु उपाय
अगर आपको बवासीर है और आप तेज दर्द व ब्लिडिंग से परेशान है तो आप इस समस्या को हल करने मे एलोवेरा के जूस पी सकते है । नियमित ब्लिडिंग को भी कम करने मे काफी मदद करेगा।
आपको करना सिर्फ इतना है कि, एलोवेरा कि ताजी टहनी को काट ले और उसके गूद को मिक्सी मे पीसकर जूस बना ले। सुबह उठने के बाद रोजाना सुबह इसको सेवन करे ।
अंतिम शब्द – बावासीर एक दुखदायी प्रॉब्लम है । इसलिए इनका इलाज शुरूआती चरणों से लेना चाहिए । ताकि इनके स्टेज आगे न बढ़े । साथ साथ ही खानपान का भी ध्यान रखना बेहद आवश्यक हैं । जिससे बेहतर जीवन जिया जा सकता हैं । आज का लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है । इसलिए इन दवाओं का सेवन करने से पहले योग्य डॉक्टर से परामर्श लेना हितकर समझे ।। अभिलाषा देशपांडे ।।