इन्द्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य क्या है ? जाने इन्द्रिय नियंत्रण कैसे करें

indriya niyantran ki safalta ka rahsya.

इन्द्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य क्या है ? किसी व्यक्ति की सफलता इन्द्रिय नियंत्रण पर निर्भर करती हैं । क्योंकि जब तक आपका इन्द्रिय कंट्रोल नही है तो आप किसी भी लक्ष्य पर एकांग्रता नहीं प्राप्त कर सकते हैं । यानी आपका लगातार भटकाव जारी रहेगा । शरीर में स्थित 14 प्रकार की इन्द्रिया किसी न किसी रूप मे आपको भटकाती रहेगी । जिससे आप किसी भी कार्य मे सफल नही हो पाएंगे । 

इनके विपरीत भगवत गीता के अनुसार इंद्रिय नियंत्रण एक ऐसी कला है जिसे जीवन भर सीखा और विकसित किया जा सकता है। यह हमें एक शांत, संतुलित और अधिक सार्थक जीवन जीने में मदद करता है। जी हा आपको हर क्षेत्र मे सफलता प्राप्त होगी । आपकी मानसिक शक्ति का विघटन नहीं होगी । किसी भी लक्ष्य पर निशाना अच्छी तरीके से साधा जा सकता हैं । तो चलिए जानते हैं – इन्द्रिय शक्ति क्या हैं –

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इन्द्रिय नियंत्रण क्या हैं –

इंद्रिय नियंत्रण का अर्थ है अपनी इंद्रियों को अपनी इच्छा के अनुसार नियंत्रित करना। ये इंद्रियां हमारे शरीर के वे अंग होते हैं जो हमें बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी देते हैं। इनमें आंखें, नाक, कान, जीभ और त्वचा शामिल हैं। वही कामेन्द्रिया जैसे गुदा, लिंग, हाथ, पैर, मुख आदि । जो व्यक्ति को किसी न किसी रूप मे भटकाव देती हैं । और वह चाह कर भी कुछ नही कर पाता है । इसी प्रकार अहंकार, चित्त, मन और बुद्धि को अंतःकरण की इन्द्रिय कहा गया है ।

भगवत गीता के अनुसार इंद्रिय नियंत्रण का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी इंद्रियों का उपयोग न करें, बल्कि इसका मतलब है कि हम अपनी इंद्रियों को इस तरह से नियंत्रित करें कि वे हमें नुकसान न पहुंचाएं और हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम हों। व्यक्ति का सीधा सम्बंध उनके लक्ष्य से होता है ।

संक्षेप मे कहा जाये तो इन्द्रिय नियंत्रण एक ऐसी शक्ति जो आपके खुद पर खुद का नियंत्रण करती है । यह एक कला हैं जो व्यक्ति को खुद से जीना सिखाती हैं । जो किसी भी लक्ष्य का भेदन आसानी कर सकती हैं । जिससे व्यक्ति का भटकाव खत्म हो जाता हैं । इन्द्रिय नियंत्रण से व्यक्ति को सफल होने कोई नहीं रोक सकता है ।

इन्द्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य क्या है ?

इंद्रिय नियंत्रण एक बहुत ही महत्वपूर्ण कड़ी है । जिससे व्यक्ति के मन पर खुद ही कंट्रोल होता हैं । और अनंत सफलताओ की और अग्रसित होता हैं । उनके मन में किसी प्रकार की उलझन नहीं होती है । वह की भाग दौड़ भरी जिंदगी मे भी तनाव से कोसो दूर रहता है । क्योंकि वह अपनी समस्त मानसिक शक्तियों को एकत्र करके लक्ष्य को निर्धारित कर सकता है । साथ ही साथ उस लक्ष्य प्राप्ति के लिए तमाम शक्तियों को झोक देता है ।

इन्द्रिय नियंत्रण का यह मतलब नहीं है कि व्यक्ति संसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता हैं । बल्कि अपनी समस्त शक्तियों पर खुद का नियंत्रण होता हैं । इंद्रिय नियंत्रण से मन शांत होता है और तनाव कम होता है। इंद्रिय निग्रह से भावनात्मक उतार-चढ़ाव कम होते हैं। इंद्रिय नियंत्रण से आप अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और उन्हें आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इंद्रिय निग्रह के माध्यम से व्यक्ति अपने असली स्वरूप को समझने की ओर अग्रसर होता है।

संक्षेप में देखा जाये तो इन्द्रिय नियंत्रण में ही व्यक्ति की सफलता का रहस्य छुपा हुआ है । क्या खुद पर कंट्रोल ही नियंत्रण है ? जी हा स्वयं पर भी काबू पाना ही बेस्ट उपाय हैं ।

इन्द्रिय नियंत्रण के एक शांत स्थान चुनें, नियमित अभ्यास करें, एक अनुभवी गुरु आपको इस मार्ग पर मार्गदर्शन कर सकता है । इस नियंत्रण का उद्देश्य जीवन को दुखी बनाना नहीं है बल्कि इसे अधिक सुखद और सार्थक बनाना है।

भगवद् गीता के अनुसार इंद्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य क्या हैं ?

भगवद् गीता, जीवन का एक व्यापक दर्शन प्रदान करते हुए, इंद्रिय नियंत्रण पर भी विशेष जोर देती है। गीता के अनुसार, इंद्रिय नियंत्रण, मोक्ष प्राप्त करने और जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अंग है। इससे मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन, ज्ञान प्राप्ति, मोक्ष का मार्ग आदि कई महत्वपूर्ण सोपान होते है ।इंद्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य आध्यात्मिक आनंद के लिए उच्च स्वाद में निहित है। जब व्यक्ति उच्च आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करता है, तो वह स्वाभाविक रूप से निम्न भौतिक सुखों से दूर हो जाता है। भगवद गीता के श्लोक 2.61 में कहा गया है –

गीता अध्याय 2.61 – “कर्मयोगी साधक उन सम्पूर्ण इन्द्रियों को वश में करके मेरे परायण होकर बैठे; क्योंकि जिसकी इन्द्रियाँ वशमें हैं, उसकी बुद्धि प्रतिष्ठित है।”

गीता अध्याय 3.39 – “अतः तू कर्म करते हुए अपने कर्मों में लिप्त मत हो; और संयम करके युक्त होकर कर्म कर।”

उपरोक्त श्लोक के अनुसार जब व्यक्ति अपनी समस्त इन्द्रियों पर विजय पा लेता हैं । अर्थात उस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है तो समझों उसने दुनिया जीत ली । वही संसार में सबसे बुद्धिमान एव शक्तिशाली साबित हो सकता हैं । और यही सफलता का बहुत बड़ा रहस्य हैं । क्योंकि जब इंद्रीय वंश में हो तो ज्ञान और मान प्राप्त करना आसान हो जाता हैं । और इन्ही से लक्ष्य साधना भी सरल हो जाता हैं । व्यक्ति शांत मन से, तर्क से सफलता प्राप्त कर लेता है ।

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इंद्रिय नियंत्रण कैसे करें –

वर्तमान में इंद्रिय निग्रह अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम लगातार विभिन्न प्रकार के उत्तेजनाओं से घिरे रहते हैं। सोशल मीडिया, स्मार्टफोन और अन्य तकनीकी उपकरणों ने हमारे जीवन को बहुत बदल दिया है। इनका अत्यधिक उपयोग हमारे मन को अशांत बनाता है और इंद्रियों को नियंत्रित करना मुश्किल बनाता है। यही कारण हैं कि मोह, लोभ, लालच एव वासना सबसे बड़ी चुनौतिया है ।

  1. ध्यान और योग – इन्द्रिय नियंत्रण के लिए ध्यान एक सबसे बड़ा माध्यम हैं जिससे मन शांत होता है । वही योग के विभिन्न आसन और प्राणायाम इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  2. प्रकृति के साथ समय बिताएं – प्रकृति हमेशा से कुछ न कुछ सिखाती रही हैं । प्रकृति के साथ समय बिताने व देखने से मानसिक रूप से शांति मिलती है जिससे इंद्रियों पर नियंत्रण में मदद मिलती हैं ।
  3. सकारात्मक सोच व संयम – हमेशा सकारात्मक सोच रखने से नकारात्मक विचारों पर काबू पाना संभव है। वही खुद पर संयम रखकर अपनी इच्छाओ पर नियंत्रण रखने से इन्द्रिय नियंत्रण करना आसान होता हैं ।
  4. भक्ति व कर्मयोग – भगवान में भक्ति करने से मन एकाग्र होता है। वही निष्काम कर्म करने से व्यक्ति इंद्रियों के बंधनों से मुक्त होता है।
  5. स्वस्थ जीवनशैली – हर व्यक्ति को स्वस्थ जीवन शैली जैसे – स्वस्थ भोजन, पर्याप्त नींद और नियमित व्यायाम इंद्रिय नियंत्रण में मदद करते हैं।
  6. शास्त्र अध्ययन एव ज्ञान प्राप्ति – हर व्यक्ति को शास्त्र अध्ययन करने से मन की नकारात्मक ऊर्जा से निजात मिलती हैं । वही भोग विलासिता से दूर रहकर ज्ञानप्राप्ति की बाधा दूर होती हैं । जिससे इन्द्रिय नियंत्रण करना आसान हो जाता हैं ।
  7. भगवद् गीता ज्ञान को इंद्रिय नियंत्रण का सबसे शक्तिशाली उपकरण है। ज्ञान से व्यक्ति इंद्रियों के मोह से मुक्त होता है। विवेक से व्यक्ति इंद्रियों के द्वारा उत्पन्न विकारों से बच सकता है।

इंद्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य व उदाहरण –

भगवद् गीता इंद्रिय नियंत्रण को आत्म-साक्षात्कार का एक महत्वपूर्ण साधन मानती है। गीता के उपदेशों को जीवन में उतारकर हम इंद्रियों पर नियंत्रण पा सकते हैं और एक सुखी और संतुष्ट जीवन जी सकते हैं।

इंद्रिय नियंत्रण एक यात्रा है, एक गंतव्य नहीं। यह एक सतत प्रक्रिया है जिसमें धैर्य और लगन की आवश्यकता होती है। छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें और धीरे-धीरे अपनी प्रगति को मापें।

मान लीजिए आप एक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यदि आप अपनी इंद्रियों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, तो आपका ध्यान बार-बार अपने मोबाइल फोन या टीवी की ओर जाएगा। इससे आपकी पढ़ाई प्रभावित होगी और आप परीक्षा में अच्छे अंक नहीं ला पाएंगे। लेकिन, यदि आप अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करते हैं, तो आप अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे और परीक्षा में सफल होंगे।

इंद्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य कई कारकों पर निर्भर करता है। यह सिर्फ एक क्षण का प्रयास नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है जिसमें धैर्य, अनुशासन और लगन की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष – हमारे शरीर में मौजूद ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों व अंतःकरण इंद्रियों के बारे में बताया । इंद्रिय निग्रह यानी अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करना, एक प्राचीन भारतीय दर्शन का महत्वपूर्ण सिद्धांत है। यह सिर्फ शरीर को नियंत्रित करने से कहीं अधिक है। यह मन को शांत करने, भावनाओं को नियंत्रित करने और आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ने का एक मार्ग है।

इंद्रिय नियंत्रण की सफलता का रहस्य यह है कि आप इसे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बना लें। इसे एक कर्तव्य के रूप में न देखें, बल्कि एक आनंद के रूप में देखें।

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