किन्नर का लिंग कैसा होता हैं ? जाने किन्नर की शारीरिक रचना के बारे में

kinnar ka ling kaisa hota hai.

किन्नर का लिंग कैसा होता हैं ? यह सवाल हर किसी के लिए रोंचक होता हैं । आखिर ईश्वर ने इन हिंजड़ो को कैसे बनाया है । ऐसी क्या उनके शरीर मे कमी हो गई कि उसे तीसरे जेंडर की श्रेणी मे खड़ा कर दिया है । क्या जेंट्स किन्नर आम पुरुष की भाति फिज़िकल रिलेशन बना सकता है ? या फिर लेडीज किन्नर आम महिलाओ की तरह अपना घर बसाकर जीवन व्यापन कर सकती है । 

समाज मे किन्नरो की स्थिति अत्यंत दयनीय है । आम तौर इन्हे हीन दृष्टी से देखा जाता हैं । सनातनी शास्त्रों मे किन्नरो का वर्णन मिलता हैं । पांडवो मे अर्जुन को किन्नर बनना पड़ा था । विज्ञान के अनुसार किन्नर का जन्म हार्मोन असंतुल के कारण होता हैं । जिससे वे न पुरुष और न ही नारी स्वरूप मे जन्म लेते है ।

इस प्रकार की स्थिति बहुत कम होती हैं । लेकिन जब होती है तो जन्म लेने वाला व्यक्ति हिजड़ा होता हैं । अर्थात उनके गुप्तांगों की सरचना पूर्ण रूप से विकसित नही होती है । तो चलिए जानते हैं – किन्नर की शारीरिक सरचना एव गुप्तांगों के बारे में रोंचक जानकारी –

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हिजड़े क्यो होते हैं –

किन्नर यानी हिजड़े जिसे तीसरे लिंग के रूप मे समाज मे जाने जाते हैं । किन्नर होने के पीछे कई कारण होते हैं । विज्ञान के अनुसार जब गर्भाव्यस्था के दौरान जब लिंग निर्धारण का दौर शुरु होता हैं । उस समय गुणसूत्रों मे गड़बड़ी होती हैं जैसे xyyy का मिलन हो जाता है तब उस संतान का जेंडर का चयन नही हो पाता हैं । परिणाम ट्रांसजेंडर के रूप मे जन्म होता हैं । कुछ अन्य कारण इस प्रकार से है –

  • किन्नर बच्चे की पहचान – किन्नर बच्चे के योनि व लिंग एक साथ अविकसित रूप मे होते हैं । बाद शल्य क्रिया से लिंग परिवर्तन किया जाता हैं ।
  • जैविक कारण – किन्नर व्यक्तियों में जैविक असामान्यताएं हो सकती हैं, जैसे कि हार्मोनल असंतुलन या जेनेटिक विकार।
  • हार्मोनल असंतुलन – किन्नर व्यक्तियों में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो उनके लिंग की विशेषताओं को प्रभावित कर सकता है। वही गर्भाव्यस्था के दौरान भी हार्मोन असंतुलन भी हिजड़े के रूप मे जन्म ले सकता है ।
  • जेनेटिक विकार – यह भी एक बड़ा कारण है जिसे किन्नर व्यक्तियों में अनुवांशिकता विकार हो सकते हैं, जैसे कि क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम या एंड्रोजन इंसेंसिटिविटी सिंड्रोम।
  • पर्यावरणीय कारक – पर्यावरणीय कारक, जैसे कि विषाक्त पदार्थों के संपर्क में, किन्नर व्यक्तियों के जन्म का कारण बन सकते हैं।

गर्भाव्यस्था के दौरान दवाओं का सेवन भी कभी नुकसान कारक हो सकता हैं । जिससे पैदा होने वाली संतान हिजड़े के रूप मे हो सकती हैं । यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किन्नर व्यक्तियों का जन्म कई कारणों से हो सकता है और यह उनकी व्यक्तिगत पहचान और आत्म-सम्मान पर आधारित नहीं होता है।

किन्नर का लिंग कैसा होता हैं ? –

तीसरे लिंग या ट्रांसजेंडर वाले लोगो की सरचना आम लोगों की तुलना काफी भिन्न होती हैं । चुंकि इस भिन्नता की वजह से इन्हे हिंजड़ा कहा है । कुदरत ने इन्हे भी आम लोगों की तरह बनाया है बस कसर तो लिंग की छोड़ दी । जी हा बस पेनिस को अविकसित ही छोड़ दिया है ।

किन्नर या तीसरे लिंग के व्यक्तियों का लिंग अक्सर एक विशेष विषय होता है जो उनकी शारीरिक और जैविक विशेषताओं पर आधारित होता है। किन्नर व्यक्तियों का लिंग आमतौर पर पुरुष और महिला के बीच में आता है, और यह उनकी शारीरिक और हार्मोनल विशेषताओं पर निर्भर करता है।

यह किन्नर महिला पुरुष दोनो होते हैं । इनके लक्षण भी अलग अलग होते हैं । दोनो मे हार्मोन असंतुलन का प्रभव आसानी से नजर आता हैं जैसे किसी महिला किन्नर की आवाज करकश भारी या पुरुष की पतली आदि । इनकी शारीरिक गठन भी अलग होता हैं जैसे अधिक वसा जमा होना या उनकी माशपेशियों की कमी । वही अगर गुप्तांग की बात करे तो दोनो के अलग अलग होते हैं । मगर अविकसित होते हैं । वही इनके स्तन भी उभरे हुए होते हैं ।

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किन्नर का लिंग कैसा होता हैं –

जैसा कि हम सब जानते हैं कि महिला पुरुष से मिलकर समाज का निर्माण होता हैं । उसी प्रकार किन्नरो मे भी महिला पुरुष जेंडर होते हैं । ये बात अलग हैं दोनो संतान प्राप्ति के लिए योग्य नहीं होते है । और यही वजह है कि उनको हिजड़ा कहा गया है । सबसे पहले हम बात करते है कि क्या पुरुष किन्नर का लिंग होता है ? तो इनका जबाब है हा … पुरुष किन्नर मे भी पेनिस होता है जो कि अविकसित होता है । वही किसी किसी किन्नर के वृषण भी होते हैं । मगर शुक्राणु बनने की कोई प्रक्रिया नहीं होती है । यह पेनिस छोटा सा होता हैं ।

इन पुरुष किन्नर लिंग कैसा होता हैं तो आपको बता दे कि ये गुप्तांगो रहित होते है । पर  फिज़िकल रिलेशन बनाने के आमादे होते हैं । लेकिन संतान प्राप्ति के उपयुक्त नही होते हैं । हर किन्नर के लिंग स्थिति अलग अलग भी हो सकती है । किसी के गुप्तांग पुरुष जैसे तो किसी महिला जैसे । वही पुरुष किन्नर की स्थिति अलग होती हैं । इनकी योनि भी पुरुष गुप्तांगों की तरह अविकसित होती हैं । फिर भी फिज़िकल रिलेशन बना सकती हैं ।

किन्नर एक ऐसे प्राणी हैं जो अधिकतर गुप्तांगो रहित होते है । इनके जननाग नाम मात्र के होते हैं । उभरे हुए कूल्हे एव छाती या स्तनो का हलका सा उभार होता हैं । वे न तो पूर्ण पुरुष होते हैं और नारी ।

 किन्नर की शारीरिक सरचना –

थर्ड जेंडर की शारीरिक सरचना आम पुरुष से भिन्न होती हैं । वे न तो नर होते हैं और न ही नारी बस दोनो का मिला जुला संगम होता हैं । इनका हाइट तो आम पुरुष जैसी होती हैं मगर गुप्तांग की सरचना ही किन्नर बना देती हैं तो चलिए जानते हैं – हिंजड़े का लिंग कैसा होता हैं –

  • पेनिस – कुछ पुरुष किन्नर व्यक्तियों में पेनिस हो सकता हैं । मगर केवल इंच या आधे इंच का होता हैं जिससे वे पेशाब कर सकते हैं।
  • यूरेथ्रा – कुछ पुरुष किन्नर व्यक्तियों में यूरेथ्रा हो सकता है, जो पेनिस के नीचे स्थित होता है और पेशाब करने में मदद करता है।
  • गुदा मार्ग – कुछ पुरुष किन्नर व्यक्तियों में गुदा मार्ग हो सकता है, जिससे वे पेशाब कर सकते हैं।
  • स्टोमा -कुछ व्यक्तियों में स्टोमा हो सकता है, जो एक ऑपरेशन के बाद बनाया जाता है जिसमें पेशाब करने के लिए एक अलग मार्ग बनाया जाता है।
  • कैथेटर – कुछ पुरुष किन्नर व्यक्तियों में कैथेटर का उपयोग करना पड़ सकता है, जो एक ट्यूब है जो मूत्राशय में डाली जाती है और पेशाब करने में मदद करती है।
  • वही महिला किन्नरो मे आशिक योनि होती है । लेकिन कुछ की अनुपस्थित भी पाई जाती है । जिनका बाद में शल्य क्रिया से मूत्र त्याग योग्य बनाया जाता है।

उपरोक्त अंगों की उपस्थिति या अनुपस्थिति जनरेटिक मिस्टेक के कारण होती हैं जो केवल ईश के हाथ में हैं । और यह उनकी व्यक्तिगत पहचान और आत्म-सम्मान पर आधारित नहीं होता है।

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किन्नरो का समाज मे स्थान –

किन्नर व्यक्तियों का समाज में स्थान अलग-अलग हो सकता है, और यह उनकी संस्कृति, धर्म, और समाज की मान्यताओं पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ सामान्य बातें हैं जो किन्नर व्यक्तियों के समाज में स्थान को दर्शाती हैं जैसे –

  • भारत में किन्नर समुदाय – भारत में किन्नर समुदाय को आमतौर पर तीसरे लिंग के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  • समाज में स्वीकृति – किन्नर व्यक्तियों को समाज में स्वीकृति मिलना अभी भी एक चुनौती है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें सुधार हुआ है।
  • अधिकारों की लड़ाई – किन्नर व्यक्तियों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है, जैसे कि शिक्षा, रोजगार, और स्वास्थ्य सेवाओं में समानता।
  • सामाजिक समर्थन – किन्नर व्यक्तियों को सामाजिक समर्थन की आवश्यकता होती है, जैसे कि परिवार, मित्र, और समुदाय का समर्थन।
  • आर्थिक स्थिति – किन्नरो की आर्थिक स्थिति अक्सर खराब होती है, क्योंकि उन्हें रोजगार में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

किन्नर व्यक्तियों के समाज में स्थान को बेहतर बनाने के लिए उनमे शिक्षा एव जगरूपता फैलाने की जरूरत है । उन्हे समानता व हक की लड़ाई लड़ने की जरूरत है । ताकि लोगों के मन मे किन्नरो के प्रति सम्मान की भावना का विकास हो । साथ ही साथ किन्नरो को भी मानव समाज के प्रति अच्छा रवेया अपनाने की जरूरत है ।

निष्कर्ष – भारतीय दर्शन मे किन्नरो का विशेष महत्व है । एक मान्यता के अनुसार किन्नर के हाथ से लिया गया सिक्का व आशीर्वाद फलिभूत होता हैं और उस व्यक्ति को मालमाल कर देता है । आज का लेख केवल सामान्य जानकारी के रूप लिखा गया है । अंत मे इतना कहूंगा कि किन्नरो का आदर करना चाहिए । उनका सम्मान करना चाहिए ।

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