लाल बहादुर शास्त्री निबंध, एक ऐसा नेता जिसकी ईमानदारी की कहानियाँ आज भी किंवदंतियों जैसी लगती हैं। एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसने देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का अमर नारा दिया। लाल बहादुर शास्त्री – नाम ही काफी है भारतीय राजनीति की सादगी, साहस और समर्पण की तस्वीर खींचने के लिए।
क्या आप जानते हैं कि जिस नेता ने पाकिस्तान को युद्ध में मात दी, वह अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी आवास में अपने निजी फर्नीचर का इस्तेमाल करता था? जिसने देश के अन्न संकट के समय स्वयं एक समय का भोजन छोड़ दिया, उसके पास मृत्यु के बाद तक अपना कोई घर नहीं था ।
शास्त्री जी का जीवन आज के दौर में एक जीवित सबक है – जहां सत्ता अक्सर विलासिता का पर्याय बन जाती है, वहाँ उन्होंने साबित किया कि असली ताकत सादगी और सिद्धांतों में होती है। आइए, इस महान व्यक्तित्व के जीवन से प्रेरणा लें, जिसने अपनी छोटी सी काया में भारत की महान आत्मा को समेट रखा था।
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Lal Bahadur shastri का जीवन परिचय
लाल बहादुर शास्त्री (2 अक्टूबर 1904 – 11 जनवरी 1966) भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन में ही पिता के निधन के बाद उनका पालन- पोषण ननिहाल में हुआ, जहाँ गरीबी में रहते हुए भी उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी।
1920 के दशक में महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
आजादी के बाद, शास्त्री जी ने राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1951 में वे भारत के रेल मंत्री बने, और 1956 में एक रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया – यह घटना उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक बन गई। 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद वे भारत के प्रधानमंत्री बने।
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को करारी हार दी। इसी दौरान उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का प्रसिद्ध नारा दिया, जो देश की एकता का प्रतीक बना। उन्होंने देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की नींव रखी।
11 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौते के बाद उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति की मिसाल है।
लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध 10 लाइन में –
- 1. Lal Bahadur shastri Ji भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
- 2. उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
- 3. उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का प्रसिद्ध नारा दिया, जो देश की एकता का प्रतीक बना।
- 4. वे गांधीजी के सिद्धांतों से प्रभावित थे और असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए।
- 5. आजादी के बाद वे रेल मंत्री, गृह मंत्री और फिर 1964 में प्रधानमंत्री बने।
- 6. 1965 के भारत-पाक युद्ध में उनके नेतृत्व में भारत ने विजय प्राप्त की।
- 7. उन्होंने देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया।
- 8. 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
- 9. उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- 10. सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के कारण वे आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।
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लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (500 शब्द )
प्रस्तावना – भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री एक महान स्वतंत्रता सेनानी, सच्चे देशभक्त और निस्वार्थ राजनीतिज्ञ थे। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। “जय जवान, जय किसान” का प्रेरणादायक नारा देकर उन्होंने देश को एकजुट किया और राष्ट्र की प्रगति में अहम योगदान दिया।
प्रारंभिक जीवन – Lal Bahadur shastri का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे और माता रामदुलारी देवी एक गृहिणी थीं। बचपन में ही पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण ननिहाल में हुआ। गरीबी के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान – शास्त्री जी महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया और जेल भी गए। बाद में, 1930 के दांडी मार्च और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी निष्ठा और समर्पण के कारण वे कांग्रेस पार्टी में महत्वपूर्ण नेता बन गए।
राजनीतिक जीवन और उपलब्धियाँ – आजादी के बाद, शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। बाद में वे रेल मंत्री, परिवहन मंत्री और गृह मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
Lal Bahadur Shastri Essay in हिंदी
प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में देश का नेतृत्व किया और विजय दिलाई। इसी दौरान उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया, जो आज भी देश की एकता का प्रतीक है। उन्होंने देश में खाद्य संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति को बढ़ावा दिया और श्वेत क्रांति (दुग्ध उत्पादन) की नींव रखी।
निधन और विरासत – 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद (अब उज़्बेकिस्तान) में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उनका निधन आज भी एक रहस्य बना हुआ है।
शास्त्री जी का जीवन देशभक्ति, सादगी और साहस की मिसाल है। उन्हें 1966 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी नीतियाँ और विचार आज भी भारतीय राजनीति को प्रेरित करते हैं।
निष्कर्ष – Lal Bahadur shastri जैसे नेता भारत की गौरवशाली विरासत हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी सादगी, ईमानदारी और दृढ़ संकल्प हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। आज भी उनके आदर्शों पर चलकर हम देश की उन्नति में योगदान दे सकते हैं।
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लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध (20 पंक्तियाँ)
- Lal Bahadur shastri भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी थे।
- उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था।
- बचपन में ही पिता के निधन के बाद उनका पालन-पोषण ननिहाल में हुआ।
- उन्होंने काशी विद्यापीठ से ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त की।
- महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
- असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया।
- आजादी के बाद वे उत्तर प्रदेश के मंत्री बने।
- 1951 में वे केंद्र सरकार में रेल मंत्री बनाए गए।
- 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद वे भारत के प्रधानमंत्री बने।
- 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने दृढ़ नेतृत्व प्रदान किया।
- उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का प्रसिद्ध नारा दिया।
- देश में अन्न संकट को दूर करने के लिए उन्होंने हरित क्रांति को प्रोत्साहन दिया।
- उनके कार्यकाल में श्वेत क्रांति (दुग्ध उत्पादन) की नींव पड़ी।
- वे सादगी और ईमानदारी के प्रतीक थे।
- 1966 में ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर के बाद उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गई।
- उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- दिल्ली में उनकी स्मृति में विजय घाट बनाया गया।
- उनके जीवन से हमें देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा मिलती है।
- वे सच्चे अर्थों में ‘जनता के प्रधानमंत्री’ थे।
- आज भी उनके आदर्श हमारे लिए मार्गदर्शक हैं।
लाल बहादुर शास्त्री का बचपन की कहानी ( निबंध ) –
Lal Bahadur shastri का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में एक सामान्य कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक स्कूल शिक्षक थे और माता रामदुलारी देवी धार्मिक विचारों वाली गृहिणी थीं। शास्त्री जी का बचपन अभावों में बीता – जब वे मात्र डेढ़ वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उनकी माँ उन्हें लेकर अपने पिता (नाना) के घर मिर्ज़ापुर चली गईं।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा मिर्ज़ापुर में हुई। बचपन से ही अत्यंत मेधावी और संवेदनशील थे। गरीबी के कारण उन्हें अक्सर पैदल ही लंबा रास्ता तय करके स्कूल जाना पड़ता था। एक घटना प्रसिद्ध है कि एक बार नदी पार करते समय उनके पास नाव का किराया नहीं था, तो उन्होंने अपनी किताबें गिरवी रखकर पैसे लिए और बाद में पैसे चुकाकर किताबें वापस लीं।

1921 में जब वे काशी विद्यापीठ में पढ़ रहे थे, तभी महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। यहीं से उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। उनके बचपन के संघर्षों ने ही उन्हें एक सादगीपसंद, ईमानदार और दृढ़निश्चयी व्यक्ति बनाया, जो आगे चलकर भारत के प्रधानमंत्री बने।
लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की प्रमुख घटनाएँ – ( निबंध )
आपका का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ। बचपन में ही पिता के निधन के बाद उनका पालन-पोषण ननिहाल में हुआ। 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़कर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। 1930 में दांडी मार्च और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
आजादी के बाद, 1951 में वे भारत के पहले रेल मंत्री बने। 1956 में एक रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिससे उनकी ईमानदारी की छवि बनी। 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने दृढ़ नेतृत्व दिया और देश को विजय दिलाई। इसी समय उन्होंने “जय जवान, जय किसान” का प्रसिद्ध नारा दिया, जिसने राष्ट्र को एकजुट किया। उन्होंने खाद्य संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को प्रोत्साहित किया।
10 जनवरी, 1966 को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी को उनकी रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जीवन सादगी, साहस और देशभक्ति की मिसाल है, जो आज भी भारतीयों के लिए प्रेरणास्रोत है।
लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर भाषण
माननीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
आज हम सभी भारत के महान सपूत और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। 2 अक्टूबर को जन्मे इस महान व्यक्तित्व ने अपना सम्पूर्ण जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया।
शास्त्री जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। गरीबी में जन्मे इस बालक ने अपनी मेहनत और लगन से देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया। उन्होंने हमें सिखाया कि ईमानदारी और सादगी ही सच्चे नेता की पहचान होती है।
1965 के युद्ध में उनके द्वारा दिया गया “जय जवान, जय किसान” का नारा आज भी हमारे देश की एकता का प्रतीक है। उन्होंने देश को खाद्य संकट से उबारने के लिए हरित क्रांति को बढ़ावा दिया और किसानों के हित में कई योजनाएं शुरू कीं।
आज हमारा कर्तव्य है कि हम शास्त्री जी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें:
– सादा जीवन उच्च विचार अपनाएं
– ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करें
– देश के प्रति समर्पण की भावना रखें
अंत में, मैं उनके ये प्रसिद्ध शब्द दोहराना चाहूंगा – “हमारी ताकत हमारी एकता में है, और यही एकता हमें महान बनाती है।” आइए हम सभी शास्त्री जी के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लें।
धन्यवाद।
Lal Bahadur shastri ji से जुड़े रोचक तथ्य –
1. “एक ऐसा बालक जिसने नाव का किराया भरने के लिए अपनी किताबें गिरवी रख दीं, वही आगे चलकर भारत का प्रधानमंत्री बना – यह है लाल बहादुर शास्त्री की असाधारण जीवन यात्रा!”
2. “जब पूरा देश 1965 के युद्ध में घिरा था, तब एक साधारण धोतीधारी व्यक्ति ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर राष्ट्र की रगों में नया जोश भर दिया!”
3. “क्या आप जानते हैं? भारत के इतिहास में पहली बार किसी मंत्री ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल दुर्घटना का इस्तीफा दिया था – यह थे लाल बहादुर शास्त्री!”
4. “मात्र 1.57 मीटर कद के इस ‘दिग्गज’ ने अपनी इच्छाशक्ति से पाकिस्तान को युद्ध में धूल चटा दी – सच्चे अर्थों में ‘छोटे कद का बड़ा दिल’ वाला नेता!”
5. “गांधी जी के आदर्शों पर चलने वाला यह सिपाही कभी जेल गया, कभी प्रधानमंत्री बना, पर अपनी सादगी कभी नहीं छोड़ी!”
6. “ताशकंद की रहस्यमय रात… एक अधूरी डायरी… और भारत का वह नेता जिसकी मृत्यु आज भी प्रश्नचिह्न बनी हुई है!
7. “जिसने देश को अन्न संकट से उबारने के लिए खुद एक वक्त का भोजन छोड़ दिया – क्या आज के नेता ऐसा त्याग कर सकते हैं ?
8. “कल्पना कीजिए! एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसके पास अपना घर तक नहीं था, पर उसने पूरे देश को अपना परिवार बना लिया!”
9. “जब वेतन से ज्यादा कीमत की कार उन्हें दी गई, तो उन्होंने कहा – ‘यह देश के गरीबों का पैसा है, मैं इसे कैसे ले सकता हूँ ?'”
10. “आजादी के बाद के भारत की कहानी अधूरी है, अगर हम उस ‘शांतिकामी योद्धा’ को याद न करें जिसने युद्ध जीतकर भी शांति का पैगाम दिया!”