मेरी माँ पर निबंध 10 लाइन मे, 100, 200, 500 व 700 शब्दों मे महत्व

meri maa par nibandh.

मेरी माँ पर निबंध । समस्त प्राणी जगत में जन्म देने वाली माँ ईश्वरीय वरदान के रूप में अनमोल है । इस जननी के वगैरह सुखद जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । माँ एक ऐसी मूरत हैं जो जन्म से लेकर अंत तक स्नेह व ममता की अमृत वर्षा करती हैं ।

उनका ह्रदय कोमल व ममतामयी होता है जो अपनी संतान की चीख तक बर्दास्त नहीं कर सकती है । वही दुनिया की पहली गुरु व शिक्षिका बनकर जीवन जीने का तौर तरीका सिखाती है । इसलिए तो डायलॉग बहुत ही लोकप्रिय है – मेरे पास गाड़ी है, बंगला है, पैसे है तेरे पास क्या है ? मेरे पास माँ … है यानी गाड़ी बंगला और पैसा एक तरफ और माँ एक तरफ । तो चलिए जानते है मेरी माँ पर निबंध –

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माँ पर 10 वाक्य –

संपूर्ण भारत ही नहीं अपितु देश-दुनिया में भी माँ को सर्वोपरि दर्जा दिया जाता है। नारी का सबसे सुंदर रूप माँ ही है। तो चलिए जानते हैं – मेरी माँ पर निबंध –

  1. वात्सलय से भरा परिपूर्ण शब्द माँ।
  2. ममता की देवी, समस्त प्राणियों में माँ का रूप।
  3. सभी प्राणियों को माँ के बिना सुनी लगती हैं संसार।
  4. गुरुओ मे सर्वश्रेष्ठ व प्रथम गुरु माँ।
  5. संसार में एक ही पवित्र रिश्ता वो है माँ।
  6. माँ के बिना जीवन अधूरा है।
  7. स्नेह भाव रखने वाली वो है माँ।
  8. स्वयं को मिटाकर अपने संतान की रक्षा करने वाली वो है माँ।
  9. सम्पुर्ण सृष्टि माँ के बिना परिपूर्ण नही।
  10. श्री हरिहर भी माँ के बिना अवतार नही ले सकता।

मेरी माँ पर निबंध 100 शब्दों में –

कहते हैं जननी वह फरिश्ता है जो दुखों में सुखो की छांव होती है। मां हमारा पालन-पोषण करने के साथ ही हमारे जीवन में मार्गदर्शक और शिक्षक की भूमिका निभाती है।

दुनिया में अगर सबसे बेशकीमती और खूबसूरत कोई है ? तो वह मां है मां परिवार के लिए महत्वपूर्ण होती है जो पूरे परिवार को एक साथ जोड़ कर रखती है मेरी मां बहुत ही प्यारी व समझदार है। मां सबसे अच्छी दोस्त भी होती है जो हमेशा साथ देती है ।
इस कायनात में जननी से बढ़कर कुछ नही है । वह इतनी अनमोल है कि न ही कोई पुत्र मातृ कर्ज उतार सकता है । न ही इस विभूति का कोई मुकाबला कर सकता है । यह जन्म से मृत्यु तक हर ममता व स्नेह न्योछावर करती है । यही कारण है कि माँ की तुलना धरतीमाता से की गई है ।

मां बच्चों के जन्म से लेकर तो सारी उम्र तक उनकी खुशियों का ख्याल रखती है मां की महिमा अनमोल अपरंपार है ईश्वर की अनुपम अलौकिक देन है मां । यही कारण है कि बच्चों को उनका कर्ज अदा करने के लिए बुढ़ापे में माँ का बेहतर ख्याल रखना चाहिए । क्योंकि माँ है तो सब कुछ है । ( मेरी माँ पर निबंध )

माँ पर निबंध 300 शब्दों में –

माँ न होती तो शायद इस संसार की कल्पना करना सच में बहुत मुश्किल हो जाता । मानद जीवन के सफर की शुरुआत माँ से ही होती है । वह न केवल चलना सिखाती हैं बल्कि जीवन जिने का हुनर भी सिखाती हैं । अपने जीवन में सबसे ज्यादा वो हमेशा हमे तवज्जो है और अपार स्नेह व ममता लुटाती है । जब तक हम काबिल नहीं होते है तब तक अपने जीवन मे वो हमें पहली प्राथमिकता देती है

  1. माँ अपने बच्चों के लिए हमेशा तैयार रहती है । बच्चे पर आंच आती है तो माँ सबसे पहले आगे आ जाती है। यदि माँ न हो तो ये दुनिया सूखे रेगिस्तान के बराबर है। माँ को कभी ठेस नहीं पहुंचानी चाहिये। माँ ही ऐसी होती है जो बच्चे की हर परिस्थिति में साथ रहती है और राह दिखाती है । इस दुनिया में सबसे पहली गुरु माँ होती है ।
  2. माँ-पिता का होना जीवन का सबसे सुखद एहसास है। हर किसी के नसीब में माँ-पिता नहीं होते। लेकिन जिसके होते है वो सच में क़िस्मत वाला होता है। एक दोस्त, एक बहन, एक भाई, एक गुरु, और वक़्त आने पर एक पिता का अभिनय निभाती है जो उसे माँ कहते है।
  3. माँ जैसा रिश्ता केवल माँ ही निभा सकती है। माँ वो हैं जो खुद साधारण साड़ी पहनती है लेकिन अपने बच्चों को नए कपड़े दिलाती है। इस दुनिया में भगवान का रूप ही होती है हमारी माँ। हम सभी के दिलों में अपनी माँ के लिए असीमित प्रेम होता है।

एक माँ के लिए उनके बच्चों की मुस्कान ही सबसे ज्यादा कीमती होती है। माँ ही वो शख्सियत है जो अपने बच्चों को शुरू से अच्छे संस्कार देती है और माँ बिना स्वार्थ के हमेशा अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित रहती हैं। सच में अगर माँ नहीं होती तो इस संसार में किसी को भी जन्म नही मिलता।

माँ के बारे में क्या लिखे –

संसार के समस्त प्राणियों में माँ का रूप ही दिखने को मिलता है। मनुष्य जीवन में सभी से रिश्ता बनता है। जैसे -: माता – पिता, पति – पत्नी, काका – काकी, दादा – दादी, भाई – बहिन, फूफा – बुआ, भतीजा – भतीजी आदि। लेकिन प्रथम शब्द माता पहले आया है। जो माता – पिता है। अन्य रिश्तों के शब्दों मे नर का नाम पहले और बाद मे नारी का नाम जोड़ा गया है। और प्रथम शब्द मे नारी का नाम पहले और नर का नाम बाद मे जोड़ा गया है। जिससे इन रिश्तों के शब्दों से ही पता चल जाता है। की इन रिश्तों मे से माँ का रिश्ता ही सर्वश्रेष्ठ है। और माँ का रिश्ता ही पवित्र है।

माँ का महत्व – संसार में सर्वश्रेष्ठ व प्रथम गुरू माँ को ही माना गया है। वो ही अपने बच्चों में अनेक गुण देती हैं। जैसे कर्तव्यनिष्ठा, स्नेहशीलता, दयालुता, समानता का भाव, निडरता, संस्कार आदि सदगुण माँ ही सिखाती है। जिस परिवार मे जननी की छाया नही है। तो उस परिवार में यह सभी गुण अधूरे है।

जननी के बिना परिवार भी अधूरा है। माँ स्वयं मेहनत करके अपने परिवार का पालन- पोषण कर लेती हैं। अपनी संतान को कही दर्द होता है। तो माँ को भी दिल मे दर्द होता है। इसलिए तो कहते हैं। बेटा कपूत बन सकता है। लेकिन माँ अपनी संतान का कभी अहित नही चाहती। स्वयं भगवान भी अवतार लेने के लिए सोचता है। तो उनको भी माँ की जरूरत होती है। मेरी माँ पर निबंध लिखना सौभाग्य की बात है ।

माँ पर वाक्य – class – 8

माँ की ममता – माँ शब्द प्रेम भरा होता है। मोह नही होता प्रेम मे बलिदान और त्याग की भावना होती है। और मोह में स्वार्थ भरा होता है। बलिदान और त्याग की भावना से ही प्रेम और वात्सलय उत्पन्न होता है। जो हर प्राणियों में देखने को मिलता है। जो माँ की ममता झलकती है। माँ के स्नेह से बलिदान और त्याग की भावना की ओर ले जाती है। जो हर मनुष्य अपनी दोनों माँ की रक्षा के लिए तैयार रहता है।

समस्त प्राणियों का माँ के बिना जन्म संभव नहीं है। नर और नारी एक दूसरे के पूरक है। जिसमे माँ के रिश्ता को शक्ति का अवतार कहा गया है। नारी के अनेको रूपों में से जिसमे माँ के रूप को सर्वश्रेष्ठ माना है। मातृ शक्ति के भी दो रूप होते है। 1. जननी माँ जिससे हम उनके गर्भ से उत्पन्न हुए है। 2. मातृ भूमि जिस देश की धरती पर हम रहते हैं। जहाँ माँ का आदर किया जाता है। वहा स्वर्ग का वास रहता है। और वहा वासुदेव अवतार लेने के लिए उत्साहित रहते है ।। कवि राम सिंह ।।

माँ का महत्व पर निबंध 500 शब्दों –

मांँ पर कुछ लिखना या कुछ कहना मतलब सूरज को दीपक दिखाने के समान है । मांँ जो कि पूरी सृष्टि की सृजन हार है । कुदरत का दिया उपहार है भगवन की अनपम कृति है। उसके विषय में हम क्या लिख सकते हैं। मां एक जादू की छड़ी होती हैं। माँ हर सुख की मधुर एहसास है हर, दुख में सुख, घाव में मरहम, खार में मीठापन और धूप में शीतल छांव बन हर वक्त हमारे साथ रहती है। मां ममता की सागर और त्याग की प्रतिमूर्ति होती है।

माँ का हृदय समंदर से भी विशाल होता है जिसकी हम परिकल्पना करें तो सोच कम पड़ जायेगी। माँ मंत्रों की उच्चारण है गीता की सार है और गुरुवाणी की बखान है । मां गंगा की पावन पवित्र जल है । मां भक्तों की आस्था और हर पुजारी की मंदिर, मंदिर में बजने वाली घंटियों की नाद है बच्चों की भगवान होती है। मां के विषय में लिखना मतलब अनन्त आकाश को लिखना जो संभव नही हैं ।

मां के विषय में कुछ भी लिखना असंभव है । वह जो पूरे सृष्टि का भार अपने कंधों पर रखती है सारे दुख, अत्याचार, सहती है और कभी चेहरे पर सिकन नही आने देती है । वो ही माँ होती है। अपने हजारो बच्चों को माँ सुख देती है उनका पालन पोषण करती है पर वही बच्चा एक माँ को सुख नही दे पाता । माँ वही शक्ति है उसकी शक्ति अपार है और हम उसके एक अंश मात्र भी कुछ नही कर पाते है। अपनी हर ख़ुशी बच्चों पर न्यौछावर कर देती है। हमें नवजीवन देने के लिए अपने शरीर को अपनी सुंदर काया को बिगाड़ देती है।

माँ पर निबंध – class – 5

मेरी माँ पर निबंध लिखना किसी सुखद एहसास से कम नाही है क्योंकि वो माँ होती है। माँ संस्कारों की जननी है बच्चों के नैतिक विकास की आधारशिला होती है हर मकान की नीव है। माँ देवी का अवतार है। माँ बच्चों के लिए वरदान है। जिस बच्चें पर माँ का साया नहीं होता वह बच्चा निश्चित रूप से संस्कारों से वंचित हो जाता है।

हमारे जीवन में यदि कोई सबसे ज्यादा महत्व रखता है तो वह हमारी माँ ही है क्योंकि बिना माँ के तो जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। माँ को इस धरती पर पर ईश्वर का रुप होती हैं। इसलिए हमें माँ के महत्व को समझते हुए, उसे सदैव खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए। माँ एक अभिभावक तथा शिक्षक के साथ ही बहुत अच्छी मित्र भी होती है।

जब कोई संकट आता है तो वह बिना बताये ही हमारी परेशानियों समझ जाती है और उसके निराकरण में हमारी मदद करती है। माँ अपने जीवन में कितने भूमिका निभाती है लेकिन इन सभी भूमिकाओं में ज्यादा माँ के रिश्ते को सम्मान मिलता है ।। आशा उमेश पांडे ।।

माँ पर निबंध 700 शब्दों में –

प्रस्तावना – जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी मां शब्द की व्याख्या करना आसान नहीं है ।अति कठिन कार्य है इसके जैसा महान कोई नहीं है। नारी के विविध रूप है पर इस जग में मां जैसा महान और कोई नहीं है। अच्छे बुरे का ज्ञान कराने वाली मां ही होती है । मातृशक्ति के आगे जहां देव भी नतमस्तक हो जाते हैं। इस संसार में सब कुछ मिलता है पर मां नहीं मिलती है। मां शब्द को सुनकर ही मन में एक सुकून पैदा होता है मां का आंचल, ममता ओर करुणा सब उस एक शब्द में समाया हुआ है। जिसके कह देने मात्र से ही मन भाव विभोर हो उठता है। वह ईश्वर की अनमोल देन है जिसका कोई मोल नहीं है ।

महत्व – मां शब्द करुणा वात्सल्य स्नेह से भरा हुआ होता है। जिसकी कोई सीमा नापी नहीं जा सकती जिसके घर होने से ही घर होता है । त्याग की वह मूरत है एक बच्चे से भी पूछा जाए मां क्या होती है तो वह बच्चा यही कहेगा जो मेरे हर दुख दर्द में मेरे साथ खड़ी होती है जो मुझ में संस्कारों को भरती है। मेरे संस्कारों की नींव मजबूत करती है वही मां होती है जो मुझे अच्छा बुरा समझना सिखाती है ।

जीजाबाई को कैसे भुलाया जा सकता है जिसने वीर शिवाजी की परवरिश कर और एक महान योद्धा बनाया । अच्छे बुरे का ज्ञान, संस्कार बच्चा सर्वप्रथम मां से ही ग्रहण करता है और एक अच्छा इंसान बनाने में मां का बहुत बड़ा योगदान होता है। पालन पोषण मां सर्वश्रेष्ठ महान तो होती ही है साथ ही वह मां की कोख में जब बच्चा आता है उसी दिन से वह मां बन जाती है ।

माँ पर वाक्य – class – 6

मां अपने अंदर पल रहे बच्चे का हर पल ध्यान ख्याल रखना शुरु कर देती है । उसे किस तरह से रहना है क्या करना है बच्चे को क्या चाहिए यह सारी बातों का वह ध्यान रखती है। धरती पर जन्म लेते ही वह मां बच्चे की बन जाती है । उस बच्चे का संबंध मां से ही बनता उसकी गोद में ही बच्चे का पूरा बचपन पलता, बढ़ता है भगवान का दूसरा रूप मां होती है । परिवार मां से ही बनता है परिवार के लिए सब कुछ करने को तैयार होती है । मां हमेशा अपने हर बच्चे पर ढेर सारा प्यार लुटाती सभी छोटी-बड़ी समस्याओं का भी हर पल ध्यान रखती है उसके बच्चे को क्या पसंद ना नापसंद है। इस बात का भी उसे ध्यान होता है मां जैसा महान तो कोई और हो ही नहीं सकता है।

पूरे परिवार की हर खुशी में वह हर दम हर पल खड़ी रहती है साथ अपना ध्यान न रख कर भी वह पूरे परिवार का हर पल ध्यान रखती बिना थके बिना रुके सतत कार्य करती रहती है बच्चों के बचपन से लेकर बड़े होने तक उनकी पढ़ाई लिखाई सभी बातों का ध्यान रखती है । अच्छे संस्कार देना यह वह जिम्मेदारी से निभाती है बच्चा भी अपनी मां से ही पहला पाठ सीखता है और वह मां सर्वप्रथम बच्चे की प्रथम शिक्षिका आप ही बन जाती है। हमारे जीवन में मां की अत्यंत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मां के बिना परिवार नहीं होता है जहां नारी होती है वही परिवार होता है नारी ही आधार घर का आधार है पूरे परिवार को जोड़े रखने का काम करती है ।

जीवन मे माँ का महत्व –

प्यार से रिश्तो को रिश्तो में बांधना रिश्तो को संभालना सारा मां पर ही होता है और एक अच्छा नागरिक बनाने में मां की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि उसे पता होता है कि उसका बच्चा किस तरह का आगे चलकर क्या बनेगा किस तरह उसका भविष्य बनेगा । अच्छे बुरे का ज्ञान कराना होगा यह सब मां की महत्वपूर्ण भूमिका जिम्मेदारियां होती है इसके साथ-साथ परिवार के हर सदस्य का भी ध्यान रखती है यह एक ऐसा रूप है यह जो अपने लिए नहीं अपने परिवार के लिए जीता है अपने परिवार के लिए सतत कार्य करता रहता।

मा जैसा इसकोई दूसरा नहीं है भगवान भी जिसके आगे नतमस्तक हो जाए वह मां ही है मां एक धरती पर अनमोल देन है जिस कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता है वह एक ऐसा ऋण है कि इसे हम चुका ही नहीं पाते हैं क्योंकि उनके जैसा जीवन दान देने वाली जीवन दायिनी वह मां ही होती है।उसके बिना तो जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती कि उस नारी शक्ति को नमन है जो अपने अंदर सृष्टि को रचने का भी बीज रखती है। नारी के विविध रूप है फिर भी मां की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । मां जैसा महान पवित्र और कोई इस दुनिया में नहीं मिल सकता है जो एक करुणा ममता की मूरत है उसे कोटि कोटि नमन हमारा । । अनिता बाजपाई वर्धा महाराष्ट्र ।।

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